कानपुर: शायद ये खबर पढ़कर आपका दिल और दिमाग भी काम करना बंद कर दे, क्योंकि समाज इस विकृत रूप के सामने आने के बाद यह सोचने पर विवश हो जाता है कि आखिर हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है। कुछ ऐसे ही रिश्तों को तार तार कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां अंधविश्वास के बदले एक नन्ही से मासूम को अपनी जान गवा कर चुकना पड़ा।
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खबर उत्तरप्रदेश के कानपुर से के घाटमपुर के एक गांव से है। जहां बच्चे की चाहत में अंद्धविश्वास से ग्रसित एक दंपति ने पहले एक मासूम का गैंगरेप करवाया फिर मासूम की हत्या कर दी गई। इसके बाद पति-पत्नी उसका लिवर खा गए। पुलिस ने चार आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है।
जानकारी के मुताबिक गांव निवासी एक व्यक्ति के तीन बच्चों में दूसरे नम्बर की छह साल की बेटी शनिवार शाम घर के बाहर पड़ोसी की बेटी के साथ खेल रही थी। वहां से अचानक लापता हो गई। परिजनों को देर रात जानकारी हुई कि गांव का एक युवक अंकुल उसे पटाखा दिलाने के बहाने ले गया है। तलाश करने पर वह भी नहीं मिला।
रविवार सुबह भद्रकाली मंदिर के पास गन्नूलाल के खेत में कुत्ते एक बच्चे का शव नोच रहे थे। ग्रामीणों ने श्रेया को पहचान लिया और उसके परिजनों को सूचना दी। शव के अंग गायब थे और उसके बगल में नमकीन और बिस्कुट के पैकेट पड़े थे। पुलिस पहुंची मगर ग्रामीणों ने चार घंटे तक शव उठने नहीं दिया।
एसपी ग्रामीण और डीआईजी के आश्वासन पर शव को पुलिस को सौंपा गया। पिता ने अंकुल, वंशलाल, कमलराज, बाबूराम और सुरेश के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई तो सबसे पहले अंकुल को ही पकड़ा गया। उसके जरिए पुलिस साथी वीरेन्द्र तक पहुंची। दोनों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने शराब पीकर बच्ची से रेप का प्रयास किया। विरोध करने पर गला दबाकर मार दिया। लगातार पूछताछ में असली घटना खुली।
अंकुल ने पुलिस को बताया कि उसके चाचा परशुराम और चाची सुनैना की शादी को कई साल हो गए थे मगर बच्चे नहीं हो रहे। उन्हें कहीं से जानकारी मिली कि बच्ची का लिवर खाने से बच्चे हो सकते हैं। परशुराम ने उसे और वीरेन्द्र को रुपए दिए और शराब पिलवाई। फिर बच्ची का लिवर लाने को कहा। आरोपित उसे बहला कर ले गए। हत्या करने के बाद अंग काटकर कूड़े में फेंक दिए जो जानवर खा गए। लिवर परशुराम और उसकी पत्नी को दे दिया। उन लोगों ने उसे खा लिया।