त्योहारों के देश भारत में कई ऐसे पर्व हैं, जिन्हें काफी कठिन माना जाता है और इन्हीं में से एक है लोक आस्था का महापर्व छठ, जिसे रामायण और महाभारत काल से ही मनाने की परंपरा रही है।

पूर्वांचल के पवित्र छठ पूजा पर्व की शुरुआत बुधवार से नहाय-खाय के साथ शुरु हो गई है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह है। बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा त्योैहार छठ पूजा है। मुख्य रूप से इसे बिहार, उत्तर प्रदेश व झारखंड में मनाया जाता है, लेकिन मौजूदा समय में देशभर में यह मुख्य पर्व बन गया है।

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यह त्यौहार मानव और प्रकृति के बीच प्रेम का प्रतीक है। छठ में सूर्य को अर्घ्य और जल देने का विशेष महत्व है। इस व्रत में सूर्यदेव और छठ मैया दोनों की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठ मैया संतानों की रक्षा करती है और उनको लंबी उम्र देती है। छठ पूजा पर सूर्यदेव के साथ-साथ उनकी पत्नी उषा और प्रत्युषा को भी अर्घ्य देकर प्रसन्न किया जाता है।

उत्तराखंड में छठ…

उत्तराखंड में 18 नवंबर को चतुर्थी के दिन नहाय-खाय मनाया जा रहा है। यह पर्व का पहला दिन है। 19 को पंचमी के दिन खरना होगा, जिसमें लोग दिनभर व्रत रखेंगे। महिलाएं शाम को सात्विक आहार ग्रहण करेंगी। 19 तारीख को षष्ठी रात 9 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी, जो 20 तारीख को रात 9 बजकर 29 मिनट तक रहेगी।

20 तारीख को छठ (षष्ठी) पूजा होगी, जो मुख्य है। 21 को सप्तमी के दिन उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा।20 तारीख को षष्ठी पर सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 48 मिनट व सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 26 मिनट रहेगा।

कौन है छठ मईया…

माना जाता है कि छठ माता सूर्यदेव की बहन हैं। जो लोग इस तिथि पर छठ माता के भाई सूर्य को जल चढ़ाते हैं, उनकी मनोकामनाएं छठ माता पूरी करती हैं। छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है।

मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि प्रकृति ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं। माना ये भी जाता है कि देवी दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी ही छठ मैया हैं।

आज होगा नहाय-खाय…

छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय होता है। लोक आस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत आज नहाय-खाय के साथ होगी। निर्जला अनुष्ठान के पहले दिन यानि आज को व्रती घर, नदी, तालाबों आदि में स्नान कर अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद ग्रहण करेंगे।

खरना…

नहाय खाय के दूसरे दिन खरना होता है और इस बार 19 नवंबर को व्रती खरना करेंगी। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। इसका छठ पूजा में विशेष महत्व होता है। खरना के दिन छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद बनाया जाता है। खरना के दिन भर व्रत रखा जाता है और रात प्रसाद स्वरुप खीर ग्रहण किया जाता है

36 घंटे का निर्जला व्रत…

छठ माता के लिए निर्जला व्रत किया जाता है यानी व्रत करने वाले लोग करीब 36 घंटे तक पानी भी नहीं पीते हैं। आमतौर पर ये व्रत महिलाएं ही करती हैं। इसकी शुरुआत पंचमी तिथि पर खरना करने के बाद होती है। खरना यानी तन और मन का शुद्धिकरण। इसमें व्रत करने वाला शाम को गुड़ या कद्दू की खीर ग्रहण करता है। इसके बाद छठ पूजन पूरा करने के बाद ही भोजन किया जाता है। छठ तिथि की सुबह छठ माता का भोग बनाया जाता है और शाम डूबते सूर्य को जल चढ़ाया जाता है। इसके बाद सप्तमी की सुबह फिर से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस तरह 36 घंटे का व्रत पूरा होता है।

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