किसानो के खाते मे एक बटन से पैसा डालने के सरकारी आयोजन पर उत्तराखंड के शिक्षक ने मोदी पर यूं कसा तंज

इक ख्वाब देखता हूँ मैं ….

आज खबर पढ़ी कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने किसानों के खातों में धन आने के अवसर पर उनसे बात की I खबर पढकर मन खुश हो गया , दिल बाग़ बाग़ हो गया , शरीर में यहाँ वहां जहाँ तहां मत पूछो कहाँ कहाँ ,बांछे खिल गयी, ह्रदय भाव विभोर हो गया , और भी बहुत कुछ हुआ , संक्षेप में लब्बोलुआब यह कि बहुत ही प्रसन्नता हुई I

इस प्रसन्नता के भाव के साथ दिन में सो गया I सोते हुए एक स्वप्न आया कि महीने की पहली तारीख है , और माननीय प्रधानमन्त्री जी मुझसे फोन पर बातें कर रहे हैं I

फोन की घंटी बजी ( रिंगटोन – तू जहाँ जहाँ चलेगा ,मेरा साया साथ होगा ,मैंने फोन उठाया , कान पर लगाया …

मैं – हेल्लो ,कौन ?
उधर से – नमस्कार ,मुकेश जी ,कैसे हैं आप ? मैं प्रधानमंत्री बोल रहा हूँ I

इतना सुनते ही मैंने फोन का स्पीकर आन कर वाल्यूम फुल कर दिया ( ताकि मेरी धर्मपत्नी ,जो कि मुझे निहायत ही फ़ालतू इंसान समझती है ,उसे भी पता चल जाय कि अपुन कोई छोटी मोटी हस्ती नहीं ,बल्कि भौत ही इम्पोर्टेंट किसिम के आदमी हैं ) …

मैं ( सावधान खड़ा हो कर ) – प्रणाम सर , मैं आज स्वयं को अत्यंत ही गौरवान्वित समझ रहा हूँ , आपका शुक्रिया सर I कहिये मैं क्या सेवा कर सकता हूँ आपकी ?
प्रधानमंत्री जी – मुकेश जी , सेवक तो मैं हूँ , आप तो शिक्षक हैं , सेवा मुझे करनी चाहिए आपकी , दरअसल मैं बचपन से ही आप जैसे शिक्षक की सेवा करना चाहता था I लेकिन पहले आप सावाधन से विश्राम हो जाएँ ,तो मैं आगे बात करता हूँ I

मैं ( आश्चर्य से ) – कमाल है सर , आपको कैसे पता चला कि मैं सावधान खड़ा हूँ ? कोई ख़ास सॉफ्टवेयर तो नहीं है मेरे फोन में ,जिससे आपको पता चल गया ?
प्रधानमन्त्री जी – हा हा हा ,नहीं मुकेश जी ,आपका फोन बिलकुल सही है , वो क्या है कि मैं जब भी कभी संबोधित करता हूँ तो सारे देशवासी सावधान हो जाते हैं I

मैं – ये आपका बड़प्पन है सर , वर्ना मैं किस खेत की मूली हूँ I कहिये कैसे याद किया मुझे ?
प्रधानमंत्री जी – मुकेश जी , आज महीने की पहली तारीख है , मैं आपको बताना चाहता हूँ कि हमारी सरकार ने आपके बैंक खाते में आपका वेतन भेज दिया है I

यहाँ पर मेरी धर्मपत्नी जी बीच में बोल पड़ी – डीए काट कर भेजा होगा या डीए सहित ? मैंने उनके मुंह पर हाथ रखा ,कि कभी चुप भी रहा करो ..हर समय मन की बात कर देती हो ,,मौका भी देखा करो ( ऐसा मैंने फोन म्यूट कर किया )

प्रधानमंत्री जी – हेल्लो ,मुकेश जी ,,,आप मुझे सुन पा रहे हैं क्या ?
मैं – जिन हाँ सर , नेटवर्क चला गया था शायद थोड़ी देर के लिए I वीएसएनएल के साथ जरा दिक्कत है यहाँ I

प्रधानमंत्री जी – मुकेश जी , वीएसएनएल की बजाय जियो लीजिये और फिर कभी कोई दिक्कत नहीं आएगी I मैं बचपन से ही जिओ का सिम प्रयोग करता आ रहा हूँ ..खैर .. मैं आपको पूछ रहा था कि आपके खाते में वेतन आने पर अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं ?

मैं – सर ,मैं बिलकुल वैसा ही महसूस कर रहा हूँ ,जैसा एक आदर्श कर्मचारी को करना चाहिए ..मैं कृतज्ञ हूँ इस देश की महान परम्परा का .. मैं ..मैं ..
प्रधानमंत्री जी – मुकेश जी , मैं मैं करना एक जिम्मेदार नागरिक को शोभा नहीं देता , आपको हम कहना चाहिए …. मैं बचपन से ही हम पर ध्यान देता आया हूँ I फिलहाल मैं आपको बताना चाहता था कि एक सेवक के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि मैं आपके खाते में हर माह वेतन भेजता रहूँ I मैं तो यह भी सोच रहा हूँ कि जब एरियर मिलेंगे , जब आपको वेतन वृद्धि मिलेगी यहाँ तक कि जब आपको नयी पेंशन योजना की पेंशन मिलेगी ,मैं तब भी आपको फोन करके इसकी जानकरी देता रहूँगा I

मैं – आपका बहुत बहुत धन्यवाद ,सर …यहाँ तो सत्तर वर्ष से लोग इतने निकम्मे हो गए थे कि कभी किसी ने यह बताने की मेहनत ही नहीं की कि मुझे वेतन मिल गया है ..आपका लाख लाख धन्यवाद I
प्रधानमंत्री जी – धन्यवाद के पात्र तो आप हैं मुकेश जी ,कि आपने मुझे सेवा का अवसर दिया .. सवा सौ करोड़ देशवासी जानते हैं कि मैं बचपन से ही सेवा का अवसर तलाशता रहता हूँ I

मैं – ही ही ही सर ..ये तो आपकी महानता है ..
प्रधानमन्त्री जी – ठीक है मुकेश जी .. अब मुझे उत्तरप्रदेश जाना है , अगले महीने मैं फिर आपको को फोन करूँगा ..नमस्कार ,जय हिन्द ,वन्देमातरम् I

मैं – जयहिंद ,वन्दे मातरम् …

…कि जग गया हूँ ख्वाब से …अजीब दास्ताँ है ये …

लेखक उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्र के सरकारी शिक्षक मुकेश प्रसाद बहुगुणा उर्फ मिर्ची बाबा हैं ।

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