चेन्नै में एक मरीज के शरीर में तीसरी ट्रांसप्लांट के बाद पांच किडनी हैं। अस्पताल के डॉक्टरों का दावा है कि यह दुनिया का संभवत: पहला मामला है।
आमतौर पर एक इंसान में दो किडनियां होती हैं। अगर किसी वजह से किडनी खराब हो जाए तो ट्रांसप्लांट के जरिए नई किडनी लगा दी जाती है, और पुरानी किडनी को हटा दिया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी 5 किडनियों वाले इंसान के बारे में सुना है? अगर नहीं तो ये खबर पढ़िए।

चेन्नई के अस्पताल में एक मरीज है, जिसके शरीर में 5 किडनियां हैं। उसका तीसरी बार किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है।

चेन्नई का नामी प्राइवेट अस्पताल है मद्रास मेडिकल मिशन। अस्पताल के अनुसार, उनके यहां भर्ती एक मरीज की 14 साल की उम्र में किडनी फेल हो गई थी। बेहद कम उम्र में ही उसकी ट्रांसप्लांट सर्जरी करनी पड़ी. ये 1994 का साल था। इसके 9 साल बाद फिर से मरीज की परेशानी बढ़ी तो फिर से 2005 में ट्रांसप्लांट किया गया। इस दौरान लगाई गई किडनियां 12 साल तक चलीं। लेकिन मरीज के अनियंत्रित हाइपरटेंशन के कारण ये ट्रांसप्लांट भी पूरी तरह कामयाब नहीं हो सका
इसके बाद 4 साल तक वह डायलिसिस कराता रहा। मगर धीरे-धीरे स्थिति जटिल होती जा रही थी। इसके बाद इसी साल मार्च महीने में उसकी तीसरी बाईपास सर्जरी भी की गई।

हालत में सुधार न होने पर 10 अगस्त को मरीज की तीसरी किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई। अस्पताल का दावा है कि ऑपरेशन कामयाब रहा। लेकिन अनोखी बात ये सामने निकलकर आई कि ट्रांसप्लांट के दौरान मरीज की पुरानी किडनियों को नहीं निकाला गया।

ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टर एस। सरवनन ने इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पहले बाहर से लगाई गईं, और स्थायी किडनियों को इसलिए नहीं हटाया गया ताकि ज्यादा ब्लीडिंग ना हो और मरीज की जान को खतरा ना हो।

डॉक्टर सरवनन ने बताया कि ट्रांसप्लांट के वक्त दिक्कतें भी कई आईं। उनके मुताबिक, तीन बड़ी समस्याएं थीं। पहली ये कि नई किडनी को फिट करने के लिए शरीर में जगह कम थी। दूसरी ये कि रक्त वाहिकाओं को गुर्दे की आर्टरी और वेन से जोड़ना था। तीसरी ये कि पहले की सर्जरी में ब्लैडर जख्मी हो गया था, जिसके कारण बहुत ज्यादा एंटीबॉडी पैदा हो रही थीं। इन सबको देखते हुए ट्रांसप्लांट किया गया, जो कामयाब रहा।

डॉक्टर सरवनन ने दावा किया कि ऐसा ट्रांसप्लांट शायद ही विश्व में कहीं हुआ होगा। ये बहुत ही असाधारण सर्जरी है, जिसका भारत में अभी तक एक रिसर्च पेपर भी प्रकाशित नहीं हुआ है। डॉक्टर ने आगे कहा कि कुछ और महीनों तक मरीज की स्थिति को बारीकी से मॉनिटर किया जाएगा ताकि ये पता चल सके कि उसका इम्यून सिस्टम नए अंगों को परेशानी तो नहीं पहुंचा रहा है। साथ ही इसका भी ध्यान रखना होगा कि मरीज का ब्लड प्रेशर कोई नई दिक्कत ना खड़ी कर दे।

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